क्यों मनाया जाता है Chhath Puja, क्या है इसका पौराणिक महत्व

October 9, 2023
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छठ पूजा(Chhath Puja) – बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखण्ड में खास कर मनाया जाता है। छठ सिर्फ एक पर्व नहीं है, बल्कि महापर्व है, जो पूरे चार दिन तक चलता है। नहाए-खाए से इसकी शुरुआत होती है, जो डूबते और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर समाप्त होती है। कहा जाता है की छठी मैया सभी मनोकामना पूर्ण करते है इस लिए इस महापर्व के प्रति लोगो की बहुत सारी आस्था जुड़ी हुई है।

छठ पूजा आज सिर्फ बिहार में ही नहीं बल्कि पुरे देश में मनाया जाता है यहां तक की यह महापर्व आज देश विदेश में भी मनाया जाता है। पारिवारिक सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए ये पर्व मनाया जाता है। इसका एक अलग ऐतिहासिक महत्व भी है।

आज छठ पूजा देश विदेश में सभी लोग मनाते है लेकिन आज भी हमारे मान में बहुत सारी बाते आती है जैसे छठ पूजा का इतिहास क्या है, इस महापर्व में हम किसी की पूजा करते है और छठ पूजा की शुरुआत कैसे हुई, तो आइये जानते है इन सब के बारे में।

क्यों मनाया जाता है Chhath Puja

छठ पर्व, छठ या षष्‍ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है। पारिवारिक सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए ये पर्व मनाया जाता है। इसका एक अलग ऐतिहासिक महत्व भी है। इसी लिए इस महापर्व को मनोकामना पूर्ण पर्व भी कहा जाता है।

Chhath Puja

क्या है छठ पूजा(Chhath Puja) का इतिहास

1. छठ या सूर्यषष्‍ठी व्रत में किन देवी-देवताओं की पूजा की जाती है?

इस व्रत में सूर्य देवता की पूजा की जाती है, जो प्रत्‍यक्ष दिखते हैं और सभी प्राणियों के जीवन के आधार हैं… सूर्य के साथ-साथ षष्‍ठी देवी या छठ मैया की भी पूजा की जाती है। पौराणिक मान्‍यता के अनुसार, षष्‍ठी माता संतानों की रक्षा करती हैं और उन्‍हें स्‍वस्‍थ और दीघार्यु बनाती हैं। इस अवसर पर सूर्यदेव की पत्नी उषा और प्रत्युषा को भी अर्घ्य देकर प्रसन्न किया जाता है। छठ व्रत में सूर्यदेव और षष्ठी देवी दोनों की पूजा साथ-साथ की जाती है। इस तरह ये पूजा अपने-आप में बेहद खास है।

2. षष्‍ठी देवी(Chhath Puja) की पूजा की शुरुआत कैसे हुई? पुराण की कथा क्‍या है?

छठ पूजा की शुरुआत कैसे हुई इसको लेकर बहुत सारी कथाये है कहा जाता है की प्रथम मनु स्‍वायम्‍भुव के पुत्र राजा प्रियव्रत को कोई संतान नहीं थी, इसके कारण वह दुखी रहते थे। महर्षि कश्‍यप ने राजा से पुत्रेष्‍ट‍ि यज्ञ कराने को कहा. राजा ने यज्ञ कराया, जिसके बाद उनकी महारानी मालिनी ने एक पुत्र को जन्‍म दिया। लेकिन दुर्योग से वह शिशु मरा पैदा हुआ था। राजा का दुख देखकर एक दिव्‍य देवी प्रकट हुईं। उन्‍होंने उस मृत बालक को जीवित कर दिया। देवी की इस कृपा से राजा बहुत खुश हुए. उन्‍होंने षष्‍ठी देवी की स्‍तुति की। तभी से यह पूजा संपन्न की जा रही है।

Chhath Puja

3. माता सीता ने भी की थी सूर्यदेव की पूजा

छठ पूजा की परंपरा कैसे शुरू हुई, इस संदर्भ में कई कथाएं प्रचलित हैं। एक मान्यता के अनुसार, जब राम-सीता 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, तब रावण वध के पाप से मुक्त होने के लिए उन्होंने ऋषि-मुनियों के आदेश पर राजसूर्य यज्ञ करने का फैसला लिया। पूजा के लिए उन्होंने मुग्दल ऋषि को आमंत्रित किया। मुग्दल ऋषि ने मां सीता पर गंगाजल छिड़ककर पवित्र किया और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्यदेव की उपासना करने का आदेश दिया। इससे सीता ने मुग्दल ऋषि के आश्रम में रहकर छह दिनों तक सूर्यदेव भगवान की पूजा की थी। सप्तमी को सूर्योदय के समय फिर से अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया था।

4. द्रौपदी ने पांडवों के लिए रखा था छठ व्रत(Chhath Mahaprav)

छठ पूजा का इतिहास महाभारत काल से भी जुड़ा हुआ है पौराणिक कथाओं में छठ व्रत के प्रारंभ को द्रौपदी से भी जोड़कर देखा जाता है। द्रौपदी ने पांच पांडवों के बेहतर स्वास्थ्य और सुखी जीवन लिए छठ व्रत रखा था और सूर्य की उपासना की थी, जिसके परिणामस्वरुप पांडवों को उनको खोया राजपाट वापस मिल गया था।

छठ पूजा को लेकर और भी बहुत सारी पौराणिक कथाये है। तो छठ पूजा बहुत ही जल्द आने वाला है और हम सभी बहुत ही बेसब्री इंतेजार कर रहे है। बिहार का महापर्व आ रहा है।

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