Chhath Puja: छठ पूजा कब है? जानें नहाय खाय, खरना सहित अन्य तारीखें

August 22, 2022
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Chhath Puja: भगवान भास्कर को समर्पित लोक आस्था और बिहार का महापर्व छठ पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। छठ पर्व सूर्य की उपासना का पर्व है, इसलिए इसे सूर्य षष्ठी व्रत के नाम से भी जाना जाता है।

Chhath Puja 2022: भगवान सूर्य को समर्पित और बिहार के लोक और आस्था का महापर्व छठ पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। छठ पूजा में चार दिनों तक छठी माता और सूर्यदेव की पूजा-अर्चना की जाती है। महापर्व छठ पूजा का व्रत काफी कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। महापर्व छठ पूजा में भक्त लोग 36 घंटे का निर्जला उपवास करती हैं।

महापर्व छठ पूजा मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है| छठ पूजा यहाँ के लोगो के लिए महापर्व अर्थात सब से बड़ा पर्व है | इस बार महापर्व छठ पूजा 30 अक्टूबर दिन रविवार को पड़ रही है|

Chhath Puja 2022: छठ पूजा 2022 शुभ मुहूर्त

30 अक्टूबर (संध्या अर्घ्य) सूर्यास्त का समय : शाम 5 बजकर 37 मिनट

31 अक्टूबर- सूर्योदय का समय – सुबह 06 बजकर 31 मिनट पर

Chhath Puja2022: छठ पूजा 2022 कैलेंडर

28 अक्टूबर 2022 शुक्रवार नहाय खाय से छठ पूजा का प्रारंभ।
29 अक्टूबर 2022 शनिवार खरना
30 अक्टूबर 2022 रविवार डूबते सूर्य का अर्घ्य
31 अक्टूबर 2022 सोमवार उगते सूर्य का अर्घ्य

Chhath Puja नहाय खाये

छठ महापर्व की शुरुआत नहाया खाया से होती है | यह छठ पूजा का पहला दिन होता है | इस दिन स्नान के बाद घर की साफ-सफाई करने के साथ ही सात्विक भोजन का सेवन किया जाता है।

Chhath Puja दूसरे दिन खरना

छठ महापर्व के दूसरे दिन को खरना के नाम से जानते है। खरना का मतलब पूरे दिन के उपवास से है। इस दिन व्रत रखने वाला व्यक्ति जल की एक बूंद तक ग्रहण नहीं करता है। संध्या के समय गुड़ की खीर, घी लगी हुई रोटी और फलों का सेवन करती हैं, साथ ही घर के बाकि सदस्यों को इसे प्रसाद के तौर पर दिया जाता है। इसके बाद फिर 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत रखा जाता है।

Chhath Puja तीसरे दिन संध्या अर्घ्य

छठ पर्व के तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को संध्या के समय सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। शाम को बाँस की टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि से अर्घ्य का सूप सजाया जाता है, जिसके बाद व्रति अपने परिवार के साथ सूर्य को अर्घ्य देती हैं। अर्घ्य के समय सूर्य देव को जल और दूध चढ़ाया जाता है और प्रसाद भरे सूप से छठी मैया की पूजा की जाती है। सूर्य देव की उपासना के बाद रात्रि में छठी माता के गीत गाए जाते हैं और व्रत कथा सुनी जाती है।

Chhath Puja चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य

छठ पर्व के अंतिम दिन सुबह के समय सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन 36 घंटे से किए जा रहे कठिन व्रत पारण किया जाता है और छठ माता से संतान की रक्षा और पूरे परिवार की सुख शांति का वर मांगा जाता है।

और इसी के साथ बिहार का महापर्व छठ पूजा का समापन हो जाता है | और हम सभी लोग प्रसाद ग्रहण करते है |

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